न्यायधानी में ज़मीन घोटाला! अधिकारियों–बिल्डरों की मिलीभगत से आदिवासी ज़मीन हड़पी..?..

# Neeraj Makhija | 19 Sep, 2025

बिलासपुर। न्यायधानी बिलासपुर में जमीन फर्जीवाड़ा की गाथा एक बार फिर सुर्खियों में है। कलेक्टर जनसुनवाई में पहुँची ताज़ा शिकायत ने अधिकारियों और बिल्डरों की मिलीभगत का बड़ा खुलासा किया है..

 शिकायतकर्ता पीयूष गंगवानी ने आरोप लगाया है कि अमलजोत डेवलपर्स के साझेदार राजेंद्र मोटवानी ने शासकीय और आदिवासी भूमि को हाउसिंग सोसाइटी के नाम पर फर्जी तरीके से नामांतरण कर लिया। यही नहीं, अवैध कॉलोनी की बचत भूमि भी अपने नाम करवाकर आवासीय कॉलोनी का जाल बुना जा रहा है..

सबसे चौंकाने वाली बात – फरवरी 2025 में यह नामांतरण तहसीलदार ने खारिज कर दिया था, कारण बताया गया था – आवेदन त्रुटिपूर्ण है, स्थल सत्यापन व बटांकन नहीं हुआ है। लेकिन सिर्फ 10 दिन बाद ही मार्च 2025 में वही नामांतरण मंजूर हो गया! जबकि पटवारी की रिपोर्ट साफ कह रही थी – भूमि का ले-आउट नगर एवं ग्राम निवेश से अनुमोदित नहीं है, यहां रोड, गार्डन, रास्ते जैसी सार्वजनिक सुविधाएं हो सकती हैं..

 इतना ही नहीं, आरोप यह भी है कि राजेंद्र मोटवानी ने शिवम गृह निर्माण समिति की जमीन को शेखर चटर्जी और अनिंद चटर्जी के ज़रिये खरीदा-बेचा और रजिस्ट्री में सार्वजनिक उपयोग की ज़मीन की जानकारी छुपा ली। साथ ही आदिवासी तिलक राम गोंड़ की ज़मीन भी बिना कलेक्टर की अनुमति और बेहद कम कीमत पर खरीदी गई — जो आदिवासी भूमि नियमों की सीधी-सीधी धज्जियाँ उड़ाता है...

आरोप - अधिकारियों-बिल्डरों की मिलीभगत का बड़ा खेल उजागर

न्यायधानी में जमीन फर्जीवाड़े की कहानी थमने का नाम नहीं ले रही। ताज़ा मामला ग्राम मोपका के खसरा नंबर 796/1, 796/2, 796/3, 796/4, 796/5, 796/6 और 796/41 कुल 0.726 हेक्टेयर (1.79 एकड़) भूमि का है, जहां कॉलोनी विकास का प्रस्ताव रखा गया। यह भूमि शिवम गृह निर्माण समिति के ले-आउट और गुलाब नगर अवैध कॉलोनी से जुड़ी बताई जा रही है..

शिकायतकर्ता पीयूष गंगवानी का आरोप है —

कॉलोनाइज़र ने नामांतरण की प्रक्रिया में कई अहम तथ्यों को छुपाकर नियमों की खुली धज्जियां उड़ाईं। गंगवानी ने मांग की है कि अमलजोत डेवलपर्स द्वारा कराए गए सभी नामांतरण और रजिस्ट्री की जांच कर तुरंत निरस्तीकरण किया जाए। साथ ही, जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, इस भूमि पर किसी भी प्रकार का कॉलोनी विकास कार्य तत्काल प्रभाव से रोका जाए...

मिलीभगत के संकेत, अब उठते हैं बड़े सवाल…

🔹 पटवारी और तहसीलदार की रिपोर्ट में जब सारी खामियां दर्ज थीं तो नामांतरण कैसे पास हुआ...?

🔹 सार्वजनिक उपयोग की ज़मीन की जानकारी छुपाकर कॉलोनी कैसे खड़ी की जा रही है....?

🔹 नियम-कानूनों को ताक पर रखने वालों के खिलाफ कार्रवाई कब और कैसे होगी...?

न्यायधानी में जमीन घोटाले का यह नया मामला अब प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा रहा है..

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